रियाज़ अहमद अंसारी : आज पूरा देश बड़े हर्षोल्लास के साथ संविधान दिवस मना रहा है। संविधान दिवस के मौके पर आज पीएम नरेंद्र मोदी ने देश को संबोधित किया। गुजरात के केवड़िया में पीएम मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अपना संबोधन दिया है।
‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ केवल विचार-विमर्श का मुद्दा नहीं
उन्होंने कहा समय के साथ महत्व खो चुके कानूनों को हटाना जरूरी। इस मौके पर पीएम मोदी ने संविधान को लेकर कहा कि हर नागरिक का आत्मसम्मान और आत्मविश्वास बढ़े, ये संविधान की भी अपेक्षा है और हमारा भी ये निरंतर प्रयास है। ये तभी संभव है जब हम सभी अपने कर्तव्यों को, अपने अधिकारों का स्रोत मानेंगे, अपने कर्तव्यों को सर्वोच्च प्राथमिकता देंगे।
उन्होंने कहा कि हमारे यहां बड़ी समस्या ये भी रही है कि संवैधानिक और कानूनी भाषा, उस व्यक्ति को समझने में मुश्किल होती है जिसके लिए वो कानून बना है। मुश्किल शब्द, लंबी-लंबी लाइनें, बड़े-बड़े पैराग्राफ, क्लॉज-सब क्लॉज, यानि जाने-अनजाने एक मुश्किल जाल बन जाता है।
इस मौके पर उन्होंने ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ को लेकर भी अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ केवल विचार-विमर्श का मुद्दा नहीं है, बल्कि देश की जरूरत भी है। यह विकासात्मक कार्य को बाधित करता है और आप सभी इसके बारे में जानते हैं। हमें इसके बारे में गंभीरता से सोचना चाहिए।
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आज के दिन को संविधान दिवस के रूप में मानने का एक मात्र बड़ा कारण वेस्टर्न कल्चर के दौर में देश के युवाओं के बीच में संविधान के मूल्यों को बढ़ावा देना है। दरअसल यही वह दिन है, जब गुलामी की जंजीरों से आजाद होकर अपने स्वतंत्र अस्तित्व को आकार देने का प्रयास कर रहे राष्ट्र ने संविधान को अंगीकार किया था। इसी दिन संविधान सभा ने इसे अपनी स्वीकृति दी थी। इस वजह से इस दिन को ‘संविधान दिवस’ के तौर पर मनाया जाता है।