पुणे : पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री और कांग्रेस नेता सुशील कुमार शिंदे ने कश्मीर के हालात से निपटने के तरीके को लेकर नरेंद्र मोदी सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि उसकी रुचि केवल ‘प्रचार’ में है।
कश्मीर घाटी में हिज्बुल मुजाहिदीन कमांडर बुरहान वानी की मौत की तरफ संकेत करते हुए शिंदे ने कहा कि अगर कोई आतंकी मारा जाता है तो यह सार्वजनिक करने की क्या जरूरत है कि वह आतंकी था। देखिए घटना के बाद क्या हुआ, 47 बेगुनाह लोगों ने बेवजह जान गंवा दी।’ उन्होंने कहा कि अफजल गुरू और अजमल कसाब की फांसी के समय संप्रग सरकार ने गोपनीयता बनाए रखी थी। हालांकि वर्तमान सरकार प्रचार में विश्वास रखती है। याकूब मेनन (1993 मुंबई सिलसिलेवार बम धमाकों के मामले का दोषी) की फांसी के बाद प्रचार के कारण क्या हुआ। उसका शव (नागपुर से) मुंबई ले जाने के बाद उसकी अंत्येष्टि के लिए 50,000 से अधिक लोग जमा हो गए थे। कश्मीर के हालात के समाधान को लेकर शिंदे ने कहा कि केंद्र को घाटी के अखबारों और कश्मीर के लोगों से बात करनी चाहिए थी। कश्मीर में 24 वें दिन भी स्थिति अशांत है।
शिंदे ने कहा कि हमारी (संप्रग) सरकार के दौरान हमने बातचीत पर जोर दिया था और अलगाववादियों को भी काबू में रखा था। लेकिन जब देश की संप्रभुता की बात आए तो बातचीत और मधुर संबंधों के साथ हमें दृढ़ और सचेत रहना चाहिए। अर्धसैनिक बलों के पैलेट गन के इस्तेमाल को लेकर उन्होंने कहा कि इसका लंबे समय से इस्तेमाल होता रहा है।
शिंदे ने कहा कि मुझे नहीं पता कि वर्तमान (केंद्र) सरकार इसे लेकर क्या करेगी लेकिन हमारे समय में हम रबर के पैलेट इस्तेमाल करते थे। लेकिन एक और बात है कि घुसपैठियों और आतंकियों के मन में डर होना चाहिए। उन्होंने कहा कि अर्धसैनिक बलों की बेवजह आलोचना की जा रही है क्योंकि वे अपना काम कर रहे हैं।