मणि सिंह : कांग्रेस पार्टी विधायक दल के नेता सदानंद सिंह और पूर्व मंत्री अवधेश सिंह खुद बिहार विधानसभा चुनाव 2020 नहीं लड़ेंगे। पार्टी ने दोनों नेताओं के पुत्रों को उनके चुनाव क्षेत्र से उम्मीदवार बनाया है। कहलगांव से शुभानंद मुकेश और वजीरगंज से डा. शशि शेखर सिंह चुनाव लड़ेंगे।
वहीं हिसुआ विधानसभा क्षेत्र से नीतू कुमारी को उम्मीदवार बनाया गया है और इसके साथ ही उन्हें सिंबल भी दे दिया गया है। नीतू कुमारी हिसुआ के पूर्व विधायक स्व. आदित्य सिंह की बहू हैं। प्रभारी सचिव अजय कपूर ने कहा कि दूसरे फेज की सूची 12 तारीख को जारी कर दी जाएगी।
महागठबंधन के साथी भाकपा माले ने 19 में से एक भी सवर्ण प्रत्याशी को चुनावी मैदान में नहीं उतारा है। भाकपा माले ने सबसे अधिक 5-5 सीट पर कुशवाहा और एससी प्रत्याशी उतारा है। 2 अतिपिछड़ा, 4 यादव और 3 मुस्लिम को टिकट दिया है। वहीं भाकपा ने 6 सीट में से दो सीट पर सवर्ण (भूमिहार) को उतारा है। इसके अलावा 2 सीट पर यादव, एक सीट पर एससी और एक पर अतिपिछड़ा उम्मीदवार को उतारा है।
सभी राजनीतिक दल इस बार के चुनाव में सवर्ण वोट बैंक को अपने पक्ष में करने की पूरी कोशिश में लगे हैं। बता दें कि कांग्रेस पार्टी ने पहले चरण की 20 सीटों में से 14 सीटों पर सवर्ण उम्मीदवार उतारे हैं। इनमें सबसे ज्यादा भूमिहार वर्ग की संख्या अधिक है, जिसमें 6 उम्मीदवार हैं। इसके साथ ही राजपूत वर्ग के 5, ब्राह्मण में से 2 और कायस्थ में1 उम्मीदवार हैं।
इसके अलावा एससी से 4 और पिछड़ा वर्ग से 2 उम्मीदवारों को टिकट दिया है। सवर्ण, दलित और मुसलमान समीकरण को बनाने में कांग्रेस ने एक बार फिर से पुराने समीकरण बनाने में कितना सफल हो पाएगी, यह तो चुनाव उपरांत बाद ही पता चलेगा।
जातीय समीकरण के गुणा-गणित में भाजपा भी पीछे नहीं है। भाजपा ने 27 सीटों में से 16 सीटों पर सवर्ण उम्मीदवार उतारे हैं। इनमें सबसे अधिक राजपूत की संख्या है, जिसमें 7 उम्मीदवार हैं। इसके अलावा भूमिहार 6, ब्राह्मण 3, अति पिछड़ा 4, यादव 3, दलित 3 और एसटी से 1 उम्मीदवार हैं। वहीं जनता दल यूनाइटेड (जदयू) और हम की 40 सीटों में भूमिहार 5, राजपूत 3, यादव 8, कोयरी 5, अति पिछड़ा 4, कुर्मी 2, दलित 12 और 1 अल्पसंख्यक हैं।