नई दिल्ली : केंद्रीय सरकारी कर्मचारी कन्फेडरेशन ने सरकार की ओर से घोषित वेतन बढ़ोतरी को खारिज कर दिया और अगले सप्ताह हड़ताल पर जाने की चेतावनी दी जिसे केंद्रीय ट्रेड यूनियनों का भी समर्थन मिला। कन्फेडरेशन ने कहा कि सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों पर कैबिनेट द्वारा मंजूर वेतन वृद्धि ‘स्वीकार नहीं।’
आरएसएस सम्बद्ध भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) और अन्या ट्रेड यूनियनों ने भी बढ़ोतरी को खारिज किया और कहा कि पिछले 17 वर्षों में यह न्यूनतम बढ़ोतरी है, जिससे न्यूनतम और अधिकतम वेतन में अंतर बढ़ेगा। केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने भी सरकारी कर्मचारियों का पक्ष लिया है और वेतन बढ़ोतरी के खिलाफ एक देशव्यापी प्रदर्शन का आह्वान किया है। वहीं, रक्षा बलों का कहना है कि इसमें उजागर हुई विसंगतियों पर ध्यान नहीं दिया गया है।
गौरतलब है कि सरकार ने सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने के प्रस्ताव को मंजूरी देते हुये एक करोड़ सरकारी कर्मचारियों और पेंशनरों को वेतन वृद्धि का तोहफा दिया है। पेंशन और कर्मचारियों के मूल वेतन में ढाई गुणा वृद्धि से सरकारी खजाने पर 1.02 लाख करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। सरकार ने कहा है कि इसके अर्थव्यवस्था पर बहुआयामी प्रभाव होंगे। नए वेतनमानों में सरकारी सेवा में शुरआती स्तर पर मूल वेतन को 7,000 रुपये से बढ़ाकर 18,000 रुपये मासिक और सबसे उंचे स्तर यानी सचिव के स्तर पर मूल वेतन 90,000 रुपये से बढ़ाकर ढाई लाख रुपये किया गया है। प्रथम श्रेणी के अधिकारियों के लिये शुरुआती वेतन 56,100 रुपये मासिक होगा।