नई दिल्ली : सरकार ने दाल का बफर स्टॉक 8 लाख टन से बढ़ाकर 20 लाख टन करने का फैसला किया है. यह फैसला इसलिए लिया गया है ताकि दाल की बढती कीमतों को नियंत्रित किया जा सके. बफर स्टॉक वो स्टॉक है जिसके तहत सरकारी एजेंसियां घरेलू औऱ विदेशी बाजारों से खरीद कर दाल जमा करती हैं, ताकि कीमत बढ़ने की सूरत में खुले बाजार में उसे बेचा जा सके. इससे कीमतों पर लगाम लगाने में सहूलियत होगी.
दाल को लेकर वित्त मंत्री अरूण जेटली की अगुवाई में वरिष्ठ मंत्रियों की एक बैठक हुई. बैठक में ये भी फैसला किया गया कि दाल पर लंबे समय की रणनीति से जुड़े सुझाव देने के लिए मुख्य आर्थिक सलाहकार की अध्यक्षता में एक समिति बनायी जाएगी.
समिति अन्य मुद्दों के अलावा इस बात पर भी विचार करेगी कि क्या दाल की न्यूनतम खरीद मूल्य (एमएसपी) के ऊपर बोनस कितना दिया जा सकता है. उपभोक्ता मामलों के मंत्री रामविलास पासवान का मानना है कि बोनस से सीधे-सीधे किसानों को फायदा होता है और वो ज्यादा पैदावार के लिए प्रोत्साहित होते हैं.
पासवान ने यह भी जानकारी भी दी कि रकबे में बढ़ोतरी की वजह से दाल की पैदावार 170 लाख टन से बढ़कर 200 लाख टन तक पहुंचने की उम्मीद है. ऐसे में अगले कुछ समय के भीतर चने को छोड़ बाकी दालों मसलन, अरहर, उड़द और मूंग की कीमतों में कमी आएगी. पिछले एक महीने में चने के दाम में भारी तेजी देखने को मिली है जबकि अरहर और मूंग के दाल में कुछ बढ़ोतरी हुई.
पासवान ने ये जानकारी भी दी कि देश में 170 लाख टन उत्पादन के मुकाबले मांग बीते साल 236 लाख टन रही और इस साल ये बढ़कर 246 लाख टन तक पहुंचने का अनुमान है. ऐसे में आय़त में तेजी लाने के साथ-साथ ये भी सुनिश्चित करना तय हुआ है कि निजी एजेंसियों की ओर से आयात किए गए दाल बंदरगाहों पर 45 दिन से ज्यादा नहीं रहे.
वैसे केंद्र ने कीमतों में बढ़ोतरी का ठीकरा राज्य सरकारों पर फोड़ा. पासवान का कहना है कि बार-बार आग्रह के बावजूद राज्य सरकारें 66 रुपये प्रति किलो की दर पर अरहर और 82 रुपये प्रति किलो की दर पर उड़द की दाल खरीदने को तैयार नहीं है.
राज्य सरकारें इस कीमत पर खरीद कर 120 रुपये पर दालें बेच सकती है. कीमतों में इस अंतर की वजह ये है कि केंद्र की ओर से बगैर पॉलिस वाली दाल मुहैया करायी जाती हैं. इसीलिए मिल, परिवहन और भंडारण वगैरह के खर्च के मद्देनजर 120 रुपये तय की गयी. हालांकि राज्य सरकारो का आरोप है कि तमाम खर्चों के बाद कीमत 120 रुपये से ज्यादा पहुंच जाती है.
बैठक मे दालों के आयात पर भी चर्चा हुई है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मोजाम्बिक की यात्रा के दौरान एक सहमति पत्र पर हुए दस्तख्त की भी चर्चा हुई. पासवान ने बताया कि वहां से दाल लाने के लिए महीने भर के भीतर कैबिनेट से मंजूरी लेने की कोशिश होगी. इसके बाद पहले साल मं 1 लाख टन, दूसरे साल में 1.5 लाख टन और तीसरे साल में 2 लाख टन दाल लाने की योजना है. मोजाम्बिक के अलावा म्यांमार से भी दाल लाने पर काम चल रहा है.