नई दिल्ली : सीबीआई की एंटी करप्शन यूनिट ने भुपेंद्र सिंह हुड्डा के घर सहित 20 जगहों पर छापेमारी की है. इसमें हुड्डा के रोहतक स्थित आवास के साथ ही तीन गुड़गांव, 9 दिल्ली, तीन चंडीगढ़ और तीन पंचकूला के ठिकाने शामिल हैं. इस मामले में हुड्डा के अलावा छतर सिंह, एमएल दयाल और एसबी ढिल्लन के ठिकानों पर छापे मारे गए हैं.
पिछले साल इस मामले की जांच सीबीआई को दी गई थी. मानेसर में कांग्रेस सरकार की करीब 972 एकड़ जमीन का अधिग्रहण कर डीएलएफ और कुछ अन्य बिल्डरों को देने के मामले में राज्य सरकार ने जांच के आदेश दिए थे. राज्य में बीजेपी की सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने सीबीआई जांच के आदेश दिए थे.
दरअसल, कांग्रेस की तत्कालीन हुड्डा सरकार के कार्यकाल के दौरान करीब 900 एकड़ ज़मीन का अधिग्रहण कर उसे बिल्डर्स को सुपुर्द किया गया था. आरोप है कि सरकार ने इस बेशकीमती ज़मीन को बिल्डर्स को औने-पौने दाम पर बेच दिया था.
कटघरे में खड़ी हुड्डा सरकार पर इस अधिग्रहण और इसे बिल्डर्स को बेचान मामले में ज़मीन के वास्तविक मालिकों को 1500 करोड़ रूपए का नुकसान पहुंचाने के भी आरोप है. इन्ही कारणों से बिल्डर्स सीबीआई जांच का विरोध कर रहे थे.
गौरतलब है कि 17 सितंबर को राज्य सरकार की अनुशंसा पर सीबीआई ने हरियाणा सरकार के अधिकारियों और प्राइवेट बिल्डर्स के खिलाफ ज़मीन अधिग्रहण में कथित अनियमितता को लेकर मामला दर्ज़ किया था.
मामले के अनुसार हरियाणा सरकार के ऑफिसर्स व प्राइवेट बिल्डर्स के बीच गठजोड़ रहा. हरियाणा सरकार ने आईएमटी मानेसर की स्थापना के लिए 912 एकड़ जमीन का अधिग्रहण करने के लिए मानेसर, नौरंगपुर और लखनौला के ग्रामीणों को सेक्शन 4, 6 और 9 के नोटिस थमा दिए थे.
इसके बाद प्राइवेट बिल्डर्स ने किसानों को अधिग्रहण की धमकी देकर जमीनों के सौदे शुरू कर दिए और उनकी जमीन कम कीमतों पर खरीद ली. इसी दौरान डायरेक्टर इंडस्ट्रीज ने 24 अगस्त 2007 को सरकारी नियमों की अवहेलना करते हुए बिल्डर द्वारा खरीदी गई जमीन को अधिग्रहण प्रोसेस से रिलीज कर दिया. यह जमीन बिल्डर, उनकी कंपनी या फिर एजेंट को रिलीज की गई न कि इसके वास्तविक मालिकों को.