नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक को निर्देश दिया था कि तमिलनाडु के किसानों की दिक्कतें दूर करने के लिए वह अगले 10 दिन तमिलनाडु को 15,000 क्यूसेक पानी छोड़े। इस निर्देश के बाद कावेरी पर विवाद गरमा गया था। कावेरी जल विवाद के चलते चेन्नई में स्थित एक कर्नाटक होटल में तोड़फोड़ की गई है, वहीं बैंगलुरू में एक छात्र पर इसलिए हमला किया गया क्योंकि उसने सोशल मीडिया पर दोनों राज्यों के बीच पानी के बंटवारे को लेकर अपनी राय रखी थी।
हालांकि हिंसा की खबरों के बीच सुप्रीम कोर्ट ने कावेरी जल विवाद पर नया फैसला सुनाया है.उच्चतम न्यायालय ने अपने आदेश में संशोधन करते हुए कर्नाटक को 20 सितंबर तक तमिलनाडु को कावेरी नदी से प्रतिदिन 12,000 क्यूसेक पानी जारी करने का आदेश दिया. उच्चतम न्यायालय ने पूर्व में दिये गये 15,000 क्यूसेक पानी प्रतिदिन जारी करने के आदेश को ठंडे बस्ते में रखने के कर्नाटक की याचिका को खारिज कर दिया.
इस बीच कई इलाकों में आगजनी और तोड़फोड़ हुई। बढ़ते तनाव को देखते हुए बैंगलुरू में धारा 144 लगाई गई। बस और मेट्रो सेवा रोकी गई। सोमवार की सुबह चेन्नई के वुडलैंड्स होटल पर कथित तौर पर एक तमिल संगठन द्वारा हमला किया गया। हमलावरों ने होटल की खिड़कियों के शीशे तोड़े और कुछ पर्चे भी छोड़े जिसमें लिखा गया था कि अगर कर्नाटक में तमिल लोगों पर हमला किया गया तो इसका बदला लिया जाएगा।
गौरतलब है कि कोर्ट ने 5 सितंबर को कर्नाटक सरकार को आदेश दिया था कि वह अगले 10 दिन तक कावेरी नदी का रोजना 15 हज़ार क्यूसेक पानी तमिलनाडु को सप्लाई करे। कोर्ट के इस फ़ैसले के बाद से कर्नाटक के लोगों में नाराज़गी है। तमिलनाडु को पानी दिए जाने के विरोध में राज्य के मांड्या समेत कई शहरों में हिंसक प्रदर्शन जारी हैं।
कावेरी सुपरवाइज़री कमेटी, तमिलनाडु और दूसरे राज्यों को कितना पानी छोड़ा जाए इस पर फैसला लेने के वक्त कावेरी डिस्प्यूट्स ट्राइब्यूनल के अंतिम आदेश का पालन करेगी।
वहीं कन्नरड़ संगठनों के बंद को कई राजनीतिक दल भी समर्थन दे रहे हैं। आवश्यक सेवाएं जैसे दूध, एंबुलेंस, दवा की दुकानें और अस्पताल इससे प्रभावित नहीं होंगे। मगर, पब्लिक ट्रांसपोर्ट- बीएमटीसी व केएसआरटीसी की बसें, ऑटो रिक्शा, टूरिस्ट कैब व एयरपोर्ट कैब सड़क पर नहीं उतरेंगी।
कर्नाटक के किसानों के भारी विरोध के बाद ऐहतियातन कृष्णाराजा सागर डैम को चार दिन के लिए बंद कर दिया गया था। इसके अलावा वृंदावन गार्डेन को भी बंद कर दिया गया था।
कर्नाटक के किसानों का कहना है कि राज्य सरकार उनके प्रति संवेदनहीन बनी हुई है। मैसूर-मांड्या के इलाकों में सिंचाई की दिक्कत के साथ-साथ पीने की पानी की दिक्कत है, लेकिन कर्नाटक सरकार को इससे मतलब नहीं है।
कर्नाटक का कहना है कि इसके पास पीने व खेती करने के लिए पर्याप्त पानी नहीं है। राज्य की कांग्रेस सरकार ने शांति की अपील की है।
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने एक सर्वदलीय बैठक बुलाई थी। उनके अनुसार, कर्नाटक सरकार के समक्ष पेश आ रही गंभीर कठिनाइयों के बावजूद राज्य सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुरूप पानी छोड़ेगा। उन्होंने यह भी कहा था कि राज्य एक नई याचिका के साथ सु्प्रीम कोर्ट जाएगा।
उन्होंने कहा कि भारी मन के साथ यह निर्णय किया गया है कि तमिलनाडु को पानी दिया जाएगा। जबकि हमारे राज्य को खुद गंभीर कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।