नई दिल्ली : भाजपा ने संसदीय सचिव संबंधी विधेयक को अस्वीकार करने पर राष्ट्रपति कार्यालय की विश्वसनीयता पर सवाल उठाने को लेकर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर तीखा प्रहार किया है।
भाजपा प्रवक्ता डा. संबित पात्रा ने कहा कि केजरीवाल ‘हताश’ हो गये हैं क्योंकि उनकी उड़ान भरती आकांक्षा ध्वस्त हो गई है। उन्हें राष्ट्रपति के फैसले को राजनीतिक मुद्दा नहीं बनाना चाहिए। भारत के राष्ट्रपति और चुनाव आयोग का कार्यालय एक स्वतंत्र संस्था हैं और उनकी काफी विश्वसनीयता है। केजरीवाल की कुछ राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं हो सकती हैं, लोकतांत्रिक प्रणाली में यह सही भी है, लेकिल भारत के राष्ट्रपति की विश्वसनीयता को कमतर नहीं करे क्योंकि इससे देश के लोकतंत्र को ठेस पहुंचेगी।
केजरीवाल ने संसदीय सचिव संबंधी विधेयक को नामंजूर किये जाने पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर राजनीतिक प्रतिशोध की कार्रवाई में शामिल होने का आरोप लगाया था और कहा था कि भाजपा, ‘आप’ से डरती है. दिल्ली में पराजय को नहीं पचा पाई है।
पात्रा ने कहा कि यह मुद्दा भाजपा के पास नहीं है। उन्होंने साथ ही याद दिलाया कि इस मामले में शिकायतकर्ता एक स्वतंत्र वकील हैं। कहा कि 2006 में तैयार कानून के तहत दिल्ली एक संसदीय सचिव की पात्रता रखता है और केजरीवाल को 21 विधायकों को संसदीय सचिव के रूप में नियुक्त करने से पहले इसमें संशोधन करना सुनिश्चित करना चाहिए था। लेकिन वे पिछली तिथि से इसमें संशोधन करने का प्रयास कर रहे हैं और रंगे हाथ पकड़े गए हैं। केजरीवाल काम नहीं कर रहे हैं और केवल दूसरों पर निशाना साधने में लगे हैं और सुबह से शाम तक वह अपने मंत्रियों के साथ मोदी की आशक्ति से ग्रस्त रहते हैं।
भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि दिल्ली में आप के विधायक देश में सबसे अधिक वेतन पाने वाले विधायकों में शामिल हैं और उनके वेतन में 400 प्रतिशत की वृद्धि की गई। जब वे अपना शपथ लेते हैं तब मेट्रो से, आटो रिक्सा से और परिवहन के दूसरे साधारण माध्यम से आते हैं कि वे सेवा करने जा रहे हैं। लेकिन अब वे कह रहे हैं कि अगर कोई विधायक अस्पताल या स्कूल जाता है तब उसे अतिरिक्त भुगतान मिलना चाहिए, लाल बत्ती मिलनी चाहिए। यह सेवा है या सेवा का व्यवसायीकरण है? भाजपा को आप से कोई भय नहीं है और लोग देख रहे हैं कि दिल्ली की सरकार कैसे काम कर रही है।
गौरतलब है कि आप सरकार को उस समय बड़ा झटका लगा जब राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने उस विधेयक को हरी झंडी दिखाने से मना कर दिया जिसमें संसदीय सचिव के रूप में नियुक्त 21 विधायकों को सुरक्षा प्रदान करने का प्रावधान किया गया है और जो आयोग्य घोषित किये जाने के खतरे का सामना कर रहे हैं। राष्ट्रपति के समक्ष इन विधायकों को आयोग्य ठहराये जाने की याचिका दायर की गई है और यह आधार दिया गया है कि ये संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन करते हुए लाभ के पद पर रहे। राष्ट्रपति ने इस विषय को चुनाव आयोग के पास भेजा था। आयोग ने इस विषय पर विधायकों से जवाब मांगा है।