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Home बिहार

बिहार के महादलित युवक-युवतियां फर्राटे से बोल रहे अंग्रेजी

by desk
25 July, 2017
in बिहार
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पटना| बिहार की राजधानी पटना के पास दानापुर वासी और भारतीय जीवन बीमा निगम (एलईसी) में नौकरी करने वाले महादलित समुदाय से आने वाले प्रकाशचंद्र आजाद आज न केवल अपनी जिंदगी से खुश हैं, बल्कि आर्थिक रूप से भी सबल हुए हैं।

फर्राटे के साथ अंग्रेजी में बात कर रहे आजाद कहते हैं, “राज्य सरकार द्वारा प्रायोजित ‘दशरथ मांझी कौशल विकास योजना’ के अंतर्गत ‘ब्रिटिश लिंगुआ’ से अंग्रेजी सीखकर न केवल मैंने यह नौकरी हासिल की, बल्कि मेरा आत्मविश्वास भी बढ़ा है।” आज आजाद को अंग्रेजी बोलने में किसी प्रकार की झिझक नहीं है।
बिहार में केवल आजाद ही नहीं, बल्कि हजारों ऐसे युवक और युवतियां हैं जो इस योजना की बदौलत अपने सपनों को पंख लगाकर जीवन की मंजिल हासिल कर रहे हैं।
पटना के ही चितरंजन कुमार और मुनिलाल सुधांशु भी ऐसे ही दलित युवाओं में शामिल हैं, जो ‘स्पोकन इंग्लिश’ का प्रशिक्षण प्राप्त कर विभिन्न क्षेत्रों में कार्य कर रहे हैं। इन युवाओं के चेहरों पर उनके आर्थिक-सामाजिक बदलाव की स्पष्ट झलक देखी जा सकती है।
इस कार्यक्रम का लाभ दलित लड़कियों को भी मिला है, जो अब रोजगार के लिए छोटे-मोटे घरेलू कार्य करने के बजाय सरकारी या निजी क्षेत्रों में नौकरी कर रही हैं। पटना के दानापुर की ही रहने वाली दलित युवती इंदू कुमारी अपने घर आने वाले महेमानों का स्वागत भी अंग्रेजी भाषा में ही बोलकर करती हैं।
इंदू बताती हैं, “पहले विभिन्न संस्थानों में जब साक्षात्कार के लिए जाती थी, तब मुझे कुछ पता ही नहीं चलता था कि क्या पूछा जा रहा है। परंतु आज न केवल प्रश्न समझ में आते हैं, बल्कि उनके जवाब भी मैं अंग्रेजी में दे रही हूं।”
उल्लेखनीय है कि बिहार सरकार ने वर्ष 2012 में बिहार महादलित विकास मिशन के तहत महादलित समुदाय के लड़के-लड़कियों को फर्राटे के साथ अंग्रेजी में बात करने के लिए अंग्रेजी कौशल विकास के क्षेत्र में काम करने वाली संस्था ‘ब्रिटिश लिंगुवा’ के साथ एक करार किया था। इसके तहत प्रारंभ में राज्य के छह जिलों पटना, वैशाली, मुजफ्फरपुर, दरभंगा, मधुबनी और समस्तीपुर के महादलित टोलों के बच्चों को ‘स्पोकन इंग्लिश’ के लिए प्रशिक्षण का दायित्व दिया गया।
एक अधिकारी ने बताया, “इन छह जिलों में योजना की सफलता के बाद राज्य के सभी जिलों में इस योजना को सरजमीं पर उतारा गया। इसके तहत चार सालों में 30 हजार से अधिक महादलित युवकों और युवतियों को स्पोकन इंग्लिश का प्रशिक्षण दिया गया।”
हालांकि पिछले एक साल से यह योजना बंद है। अब महादलित परिवार के युवक और युवतियां इस योजना को फिर से प्रारंभ करने की मांग कर रहे हैं।
राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के सदस्य योगेंद्र पासवान आईएएनएस से कहते हैं कि आज महादलित परिवार के बच्चों में न केवल शिक्षा की जरूरत है बल्कि हुनर की भी जरूरत है। उन्होंने कहा कि ऐसी योजनाओं को बंद करना कहीं से भी सही नहीं ठहराया जा सकता। वह कहते हैं कि आज हुनर ही रोजगाार के लिए सबसे बड़ी ताकत है।
इधर, पूर्व केंद्रीय मंत्री संजय पासवान कहते हैं, “महादलित बच्चों के लिए शुरू की गई ऐसी योजनाओं का बंद होना समझ से परे है। इस योजना से बिहार के हजारों बच्चों को अंग्रेजी बोलने का हुनर प्राप्त हो रहा था, बच्चों को रोजगार मिल रहा था।
इधर, ब्रिटिश लिंगुवा के प्रबंध निदेशक बीरबल झा कहते हैं, “आज हमारे समाज में, विशेषकर शैक्षणिक संस्थानों तक किसी व्यक्ति की पहुंच को निर्धारित करने वाला और इस तरह आर्थिक, सामाजिक प्रगति का महत्वपूर्ण रास्ता यदि कोई है तो वह अंग्रेजी भाषा का ज्ञान है।”
उल्लेखनीय है कि कौशल विकास के क्षेत्र में ब्रिटिश लिंगुवा के सराहनीय कार्य के लिए केंद्रीय कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय, बिहार महादलित विकास मिशन, बिहार राज्य अनुसूचित जाति आयोग तारीफ कर चुकी है।

महादलित विकास मिशन के कार्य के लिए भी तत्कालीन अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जाति कल्याण विभाग के मंत्री जीतन राम मांझी और तत्कालीन उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने भी ब्रिटिश लिंगुवा की प्रशंसा की थी।

Tags: bihar newsBritish Linguamahadalit communitymahadalit youthsspeaking english with fraternity
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