पटना। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और प्रधानमंत्री मोदी के कार्यशैली के बीच अद्भूत समानता है। नीतीश की शख्सियत मोदी जैसी स्वतंत्र निर्णय लेने की है। दोनों अपने निर्णयों की हवा भी मीडिया व अन्य नेताओं को नहीं लगने देते।
मोदी के निर्णयों को लेकर मीडिया से लेकर उनकी पार्टी तक के तमाम राजनेता बस अटकलें ही लगाते रह जाते हैं, चाहे वो उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री के नाम का निर्णय हो या फिर राष्ट्रपति और उप-राष्ट्रपति के नाम का निर्णय। तब तक किसी को कानों-कान खबर नहीं हुई जब तक मोदी की तरफ से नामों का ऐलान नहीं कर दिया गया।
कुछ इसीतरह की कार्यशैली नीतीश कुमार ने भी दिखाई है। बुधवार को जदयू विधायकों की बैठक तक में उन्होंने अपने निर्णयों की किसी को भनक नहीं लगने दी। बैठक के बाद वे सीधे राजभवन पहुंचे और राज्यपाल को इस्तीफा सौंप दिया। यहां तक कि महागठबंधन की प्रमुख सहयोगी दल राजद को भी उम्मीद नहीं थी कि नीतीश इतना बड़ा कदम उठा सकते हैं। दूसरी सहयोगी दल कांग्रेस ने भी बयान दिया है कि उन्हें उम्मीद नहीं थी कि नीतीश ऐसा भी कर सकते हैं।
नीतीश कुमार इससे पहले भी चौंकाने वाले निर्णय लेते रहे हैं, चाहे वो नोटबंदी पर उनका स्टैंड हो या फिर राष्ट्रपति उम्मीदवार रामनाथ कोविंद का समर्थन हो। नीतीश कुमार दबाव के आगे झुकने वाले नेता नहीं हैं। उन्होंने कई मौकों पर यह साबित किया है कि वह अपने मन की करते हैं और अपने मन की ही सुनते हैं।