पटना : राजद के बाहुबली नेता मोहम्मद शहाबुद्दीन की रिहाई को लेकर आलोचनाओं से घिरी बिहार की नीतीश सरकार उनकी जमानत रद्द कराने के लिए आखिरकार उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटा दिया है। जानकारी के अनुसार, बिहार सरकार ने शुक्रवार को शहाबुद्दीन की जमानत के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट याचिका दायर कर दिया है। शहाबुद्दीन की जेल से रिहाई के बाद बिहार सरकार तीखी आलोचना झेल रही थी। पटना उच्च न्यायालय की ओर से जमानत दिए जाने के बाद नीतीश सरकार पर हमले तेज हो गए थे।
दूसरी ओर, उच्चतम न्यायालय राजद के विवादित नेता शहाबुद्दीन की जमानत को रद्द करने की मांग करने वाली याचिका पर सोमवार को सुनवाई करने के लिए सहमत हो गया है। राजद के पूर्व सांसद शहाबुद्दीन को पटना उच्च न्यायालय से मिली जमानत के खिलाफ सिवान के चंद्रकेश्वर प्रसाद ने उच्चतम न्यायालय में अपील दायर की है। गैंगेस्टर से नेता बने शहाबुद्दीन ने प्रसाद के चार में से तीन बेटों की कथित तौर पर हत्या कर दी थी।
गौरतलब है कि शहाबुद्दीन को जमानत मिलने के बाद भाजपा नीत विपक्ष ने नीतीश सरकार पर हमला तेज कर दिया था। जेल से राजद नेता की रिहाई के बाद समर्थकों की भीड़ ने कुमार को असहज स्थिति में डाल दिया था। उनकी पार्टी जदयू के नेताओं ने भी संकेत दिया था कि सरकार शहाबुद्दीन की जमानत रद्द किए जाने के लिए उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटा सकती है।
वहीं, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बहुचर्चित शहाबुद्दीन मुद्दे में सरकार की सर्वोच्चता पर जोर देते हुए गुरुवार को कहा था कि इस मामले में कानून अपना काम करेगा। उन्होंने यहां संवाददाताओं से कहा कि कानून की एक प्रक्रिया होती है। मैं आपसे यही कहूंगा कि कानून अपना काम करता रहेगा।
बताते चलें कि सिवान से चार बार के पूर्व सांसद शहाबुद्दीन 11 वर्ष बाद बीते दिनों जेल से बाहर आए। पटना हाईकोर्ट ने 2004 के हत्या के मामले में गत सात सितम्बर को उन्हें जमानत दी थी।