नई दिल्ली : आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि करूणा के प्रसार से सभी तरह के चरमपंथ, भौतिकवाद और लोगों के बीच आत्मकेंद्रिता जैसी कई चिंताओं का हल होता है।
भागवत ने कहा कि हमें यह समझने की जरूरत है कि हमारी धार्मिक परंपराओं के मूल में क्या है। सत्य और शुचिता इसके मूल हैं और दोनों ही करूणा के बिना संभव नहीं है। इसलिए हमें करूणा के साथ शुरूआत करनी होगी। उन्होंने ‘कॉम्पेशन इन 4 धार्मिक ट्रेडीशंस’ नाम की एक पुस्तक के विमोचन के मौके पर कहा कि असंतुलन, धर्म के नष्ट होने के बाद चरमपंथ, एक दूसरे से प्रतिस्पर्धा, आत्मकेंद्रिता में धड़ल्ले से वृद्धि..इन सभी से हम करूणा और सच्चाई के सहारे लड़ सकते हैं। ऐसा करने में सक्षम होने के लिए हमें करूणा का मार्ग अपनाना होगा।
इस अवसर पर भाजपा के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी और केंद्रीय मंत्री हषर्वर्धन भी मौजूद थे। भागवत ने कहा कि आज दुनिया में जो कुछ भी हो रहा है वह करूणा के अभाव में हो रहा है जिसके बिना धर्म नहीं टिका रह सकता। भागवत को महापुरूष बताते हुए आडवाणी ने कहा कि कोई धर्म दूसरे धर्म की आलोचना की इजाजत नहीं देता।