नई दिल्ली : दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मेरठ, लखनऊ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में रैलियां करके नोटबंदी के खिलाफ अपनी लड़ाई को तेज करने की तैयारी कर ली है. केजरीवाल ने कहा कि इसका समर्थन करना ‘‘राष्ट्र विरोधी’’ है. दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक केजरीवाल की योजना पंजाब के साथ ही देश के कई अन्य हिस्सों में भी ऐसी ही रैलियां करने की है. आपको बता दें कि यूपी और पंजाब में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं.
आम आदमी पार्टी के प्रवेक्ता दीपक वाजपेयी ने कहा कि उत्तर प्रदेश में केजरीवाल मेरठ, वाराणसी और लखनऊ में क्रमश: एक, आठ और 18 दिसम्बर को रैलियों को संबोधित करेंगे. केजरीवाल ने मोदी सरकार को नोटबंदी का फैसला वापस लेने के लिए गुरुवार को केंद्र को तीन दिन का अल्टीमेटम दिया था. उन्होंने एक समाचार चैनल से कहा कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मशविरा करने के बाद वह अपने अगले कदम पर निर्णय करेंगे.
केजरीवाल ने कहा कि नोटबंदी के फैसले का वर्तमान स्वरूप में समर्थन करना राष्ट्र विरोधी है. यह आठ लाख करोड़ रूपये का स्वतंत्र भारत के इतिहास में अब तक का सबसे बड़ा घोटाला है.
केजरीवाल कल फेसबुक पर शाम सात बजे लोगों को सीधे संबोधित करेंगे और ‘‘नकदी संकट’’ पर लोगों को ‘‘अवगत’’ कराएंगे और ‘‘प्रधानमंत्री के खिलाफ दस्तावेज भी प्रस्तुत करेंगे.’’ केजरीवाल 20 नवम्बर से 30 नवम्बर के बीच पंजाब में 21 रैलियों को संबोधित करेंगे. वह अपनी रैली की शुरूआत सुखबीर सिंह बादल के विधानसभा क्षेत्र जलालाबाद से करेंगे. आपको बता दें कि 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान केजरीवाल वाराणसी से मोदी के खिलाफ खड़े हुए थे और तीन लाख से अधिक वोट से हार गए थे.
बीजेपी की इस आलोचना के बारे में पूछे जाने पर कि वह ‘‘घोटाले की दागी’’ तृणमूल कांग्रेस के साथ खड़े हो रहे हैं, केजरीवाल ने कहा कि वह चाहेंगे कि केंद्र ‘‘मेरे और ममता बनर्जी’’ सहित सभी के खिलाफ जांच करें, लेकिन ‘‘उसे जांच करने से कौन रोक रहा है जबकि सभी एजेंसियों उसके अधीन हैं.’’ इससे पहले केजरीवाल ने ट्वीट किया कि सरकार लोगों के साथ अपना ‘‘संपर्क खो’’ चुकी है और उसके कदम से ‘‘असंवेदनशीलता’’ की बू आती है.
केजरीवाल ने कहा कि मैं बहुत दुखी हूं कि वित्तमंत्री ने इसकी समीक्षा करने और उसे वापस लेने पर विचार करने से सीधे मना कर दिया. लोगों से मोदी सरकार का संपर्क टूट गया है और वह बहुत असंवेदनशील बन गई है.