नई दिल्ली : दिल्ली में सरकारी एम्बुलेंस की सेवा को बेहतर करने की तैयारी हो रही है, ताकि किसी तरह की दुर्घटना या आपात स्तिथि में घायलों को तत्काल उचित इलाज मिले. साथ ही यह भी नियम बनाया जा रहा है कि सड़क पर सरकारी कैट्स एम्बुलेंस को जगह ना देने पर गाड़ियों का 2000 रुपये का चालान काटा जाये. रविवार को दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने नए एम्बुलेंस हेल्पलाइन 102 के लिए अत्याधुनिक कंट्रोल रूम और मोबाइल एप बनाने का एलान किया. इसके साथ ही एम्बुलेंस को साइड ना देने पर गाड़ियों का चालान काटने की तैयारी की जा रही है.
दिल्ली में सरकारी एम्बुलेंस की सेवा को बेहतर बनाने के लिए तीन नए कदम उठाए गए हैं और चौथे की तैयारी चल रही है. दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने रविवार को लगभग 50 नए एम्बुलेंस को हरी झंडी दिखाई. इसके साथ ही पहले से मौजूद 155 एम्बुलेंस के साथ 110 नए एम्बुलेंस जुड़ने वाले हैं, जिसके बाद दिल्ली में सरकारी एम्बुलेंस की सेवा देने वाली कैट्स एम्बूलेंस के बेड़े में कुल 265 एम्बुलेंस हो जाएंगे.
नए एम्बुलेंस के साथ ही एम्बुलेंस हेल्पलाइन 102 के लिए नया कंट्रोल रूम और मोबाइल एप भी शुरू किया गया है. दिल्ली सरकार की तरफ से उठाए ये तीन कदम शुरुआत तो हो चुकी है. चौथे कदम के तहत दिल्ली सरकार सड़कों पर एम्बुलेंस को आगे बढ़ने के लिए जगह ना देने वाली गाड़ियों पर 2000 रुपए का चालान करने की तैयारी कर रही है.
इसके लिए सभी एम्बुलेंस में फ्रंट कैमरा लगाया जाएगा. जो भी गाड़ी एम्बुलेंस को जगह नहीं देगी उसके नंबर प्लेट की तस्वीर एम्बुलेंस के आगे लगा कैमरा कंट्रोल रूम को भेज देगा और गाड़ीवाले के घर उसका चालान पहुंच जाएगा. नए कन्ट्रोल रूम के जरिए एम्बुलेंस का संचालन स्मार्ट तरीके से किया जाएगा. कंट्रोल रूम में एम्बुलेंस के लोकेशन की सारी जानकारियां नजर आएंगी.
कंप्यूटर के जरिए ही जहां नजदीकी एम्बुलेंस को कॉलर की लोकेशन भेजी जाएगी वहीं कॉलर तक एम्बुलेंस के ड्राईवर का नम्बर भेज दिया जाएगा. इसके अलावा एम्बुलेंस में लगे टैब के जरिए एम्बुलेंस में बैठा पैरामेडिक स्टॉफ नजदीकी अस्पताल तक घायल या जरूरतमंद के आने की सूचना पहुंचा देगा.
वर्तमान में एम्बुलेंस के लिए रोजाना लगभग 800 कॉल आते हैं. नए कंट्रोल रूम की क्षमता 5000 कॉल रिसीव करने की है. जरुरत पड़ने पर मोबाइल ऐप ‘Call 102’ के जरिए बिना 102 पर कॉल किए ही एम्बुलेंस मंगवाया जा सकता है. जीपीएस के जरिए कॉलर के लोकेशन की सटीक जानकारी कंट्रोल रूम तक पहुंच जाएगी. इस एप को गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड किया जा सकता है. हालांकि अभी एप की सुविधा शुरू होने में थोडा समय लगेगा.