नई दिल्ली : आज सावन महीने की दूसरी सोमवारी है। सबसे सुखद बात यह है कि आज ही शिवरात्रि भी है। ज्योतिषाचार्य के मुताबिक सोमवार के दिन शिवरात्रि का शुभ संयोग बना है। शिवरात्रि इस बार शिव के प्रिय दिन सोमवार को पड़ी है। सोमवार को शिवरात्रि होने से शिव पूजा करने से कई गुणा अधिक पुण्य फल की प्राप्ति होगी। ऐसा काफी कम होता है कि शिवरात्रि और सोमवार दोनों एक दिन हो लेकिन जब ऐसा संयोग और सुयोग होता है तब उसकी महत्ता और बढ़ जाती है। लिहाजा यह सोमवार शिवरात्रि पर्व एक साथ होने से शिवभक्तों के लिए पुण्य लाभ कमाने का सर्वश्रेष्ठ अवसर है।
वर्ष 2005 में महाशिवरात्रि सोमवार के दिन पड़ी थी। इसके बाद इस साल भी यह शुभ संयोग आज बन रहा है। सोम साक्षात शिव का स्वरूप है। इसलिए इस दिन सोम शिव योग का संयोग बन रहा है जो विशेष शुभ फलदायी है। इस दिन भगवान भोलेनाथ की आराधना करने से विशेष शुभ फल की प्राप्ति होती है।
पंडितों के मुताबिक यह शिवरात्रि और सोमवार का दूसरा व्रत, व्रत राज के नाम से विख्यात है और चारों पुरुषार्थों धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष को देने वाला है। कालसर्प योग की शांति के लिए शिवरात्रि का विशेष महत्व है। इस दिन रुद्राभिषेक और भगवान शिव की पूजा करने से कालसर्प योग की शांति होती है। जिन लोगों की कुंडली में चंद्रमा कमजोर हो या चंद्रमा की दशा चल रही हो उन लोगों को इस दिन रुद्राभिषेक से विशेष लाभ और शिव की कृपा प्राप्त होती है।
भक्त महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर देश भर के मंदिरों में जलाभिषेक कर रहे हैं। आधी रात से ही शिव और राजा दक्ष प्रजापति के मंदिरों में शिव के जलाभिषेक के लिए भोले के भक्तों की कतारें लगनी शुरू हो गई।
भोले के भक्तो में भगवान शंकर का जलाभिषेक करने की इतनी ललक है की वे रात से ही मदिर पहुच कर द्वार खुलने का इंतजार करते नजर आये। वे सभी लाइन लगाकर मंदिर खुलने का इंतजार करने लगे और जब दक्ष मंदिर के कपट खुले तो इनका उत्साह देखने लायक ही था।
भक्तों की माने तो सावन में भगवान शंकर कनखल में ही विराजते है और इस दौरान भगवान शंकर का जलाभिषेक करने वाले की सभी कामनाये पूरी हो जाती है। शिव भक्तों का मानना है कि शिवरात्रि पर दक्ष प्रजापति महादेव मंदिर में भोले नाथ का विधिविधान ने अभिषेक किया जाये तो सभी कामनाये पूरी हो जाती हैं।