डेस्क : कृषि कानूनों को लेकर बने गतिरोध को खत्म करने की दिशा में कुछ प्रगति होती दिख रही है। गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर एक-दो दिन में आंदोलनकारी किसान संगठनों से मुलाकात करेंगे। वार्ता के लिए दरवाजे खुले रखने के साथ ही सरकार सुप्रीम कोर्ट के रुख के अनुरूप समिति गठित करने की भी तैयारी कर रही है।
समिति के लिए सदस्यों के चयन की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इसमें देरी सिर्फ इसलिए हो रही है क्योंकि पिछली सुनवाई में किसान संगठनों की ओर से कोई आया ही नहीं था। संगठनों ने समिति के सदस्यों के लिए नाम नहीं दिए हैं।
बंगाल में प्रेस कांफ्रेंस के दौरान एक प्रश्न के जवाब में गृह मंत्री शाह ने कहा, ‘मुझे समय की जानकारी नहीं है, लेकिन तोमर कल या परसों में किसान प्रतिनिधियों से उनकी मांगों पर चर्चा के लिए मिलेंगे।’ अब तक सरकार किसानों से पांच दौर की वार्ता कर चुकी है। हालांकि तीनों नए कृषि कानूनों को रद करने की मांग पर अड़े किसानों के रुख के कारण कोई हल नहीं निकल पाया।
सुप्रीम कोर्ट ने मामले में जिस तरह समिति बनाने की बात कही है, सरकार ने पहले ऐसा ही प्रस्ताव दिया था। दिसंबर की शुरुआत में सरकार की ओर से किसान संगठनों को एक छोटी समिति बनाने का सुझाव दिया गया था ताकि बातचीत से समाधान निकाला जा सके। सरकार इस समिति में अपनी ओर से मुख्यत: एक दो अधिकारियों के अलावा विशेषज्ञों को ही रखना चाहती है, जो खेती और किसानी को लाभप्रद बनाने के लिए वर्षों से काम करते रहे हैं।
सरकार ने अपनी दूसरी और तीसरी वार्ता के दौरान ही एक विशेषज्ञ समिति के गठन का प्रस्ताव रखा था। उस समय किसान संगठनों के नेताओं के बीच परस्पर सहमति नहीं बन पाई थी। सभी संगठन के नेताओं को समिति में जगह मिलना संभव नहीं था। लिहाजा प्रस्ताव खारिज हो गया। कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने उस समय कहा कि उन्हें कोई आपत्ति नहीं है। वार्ता में सभी लोग शामिल हो सकते हैं। सरकार के साथ हुई वार्ताओं में कुछ नेताओं का रुख आक्रामक था, जो समाधान की राह में बाधा बने हुए हैं।
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किसान संगठनों के नेता कृषि कानूनों को रद करने की अपनी जिद पर अड़े हैं। संसद से पारित कृषि सुधार के तीनों कानूनों को रद करने की मांग के साथ उन्होंने अपनी मांग में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी भी जोड़ ली है। दिल्ली बार्डर पर कड़ाके की ठंड के बावजूद आंदोलन कर रहे किसान नेताओं को समझाने और उनकी आशंकाओं को दूर करने के लिए सरकार लगातार प्रयास कर रही है।