नई दिल्ली. विश्व बैंक की ओर से जारी होने वाले इंडियन डेवलपमेंट अपडेट में इस साल भारत की आर्थिक विकास दर 7.2 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है। बैंक का मानना है कि नोटबंदी के फैसले से अर्थव्यवस्था की रफ्तार धीमी पड़ी लेकिन जीएसटी लागू होने से अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।
विश्व बैंक की ओर से जारी होने वाले इंडियन डेवलपमेंट अपडेट के मई संस्करण में कहा गया है कि बीते कारोबारी साल की शुरुआत में आर्थिक विकास की रफ्तार धीमी पड़ रही थी, लेकिन अनुकूल मानसून से हालात बेहतर हुए। फिर भी नोटबंदी की वजह से सुधार की रफ्तार पर थोड़े समय के लिए असर पड़ा। एक साथ 86 फीसदी मुद्रा चलन के बाहर होने से बीते कारोबारी साल की तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसम्बर) के दौरान विकास दर घटकर सात फीसदी पर आ गयी जबकि पहली तिमाही में ये 7.3 फीसदी थी। इसी को ध्यान मे रखते हुए विश्र्व बैंक का अनुमान है कि 2016-17 के दौरान विकास दर 6.8 फीसदी रह सकती है जो 2017-18 में बढ़कर 7.2 फीसदी और 2019-20 मे 7.7 फीसदी पर आ सकती है।
बैंक की माने तो सीमित आंक़ड़ों के आधार पर कहा जा सकता है निर्माण और अनौपचारिक खुदरा कारोबार में काम करने वाले गरीब परिवारों पर कुछ असर पड़ा। महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना यानी मनरेगा के तहत बीते कारोबारी साल के पहले 11 महीनों में कुल रोजगार 2015-16 से कहीं ज्यादा हो गया। ग्रामीण क्षेत्र में मांग में कमी आई और खपत भी घटी।
फिर भी बैंक कहता है कि आर्थिक विकास पर मामूली असर ही पड़ा। डिजिटल लेन-देन को बढ़ावा देने, ग्रामीण इलाकों में आमदनी बढ़ने और सार्वजनिक खपत में तेजी इसकी वजह रही। नवम्बर औऱ दिसम्बर के महीने में ग्रामीण इलाको में मजदूरी बढ़ने और मानसून की वजह से बेहतर फसल ने नोटबंदी से पैदा होने वाली किसी भी आशंका को मंदा कर दिया।
विश्व बैंक के कंट्री डायरेक्टर जुनैद अहमद कहते हैं, ‘भारत तेजी से बढ़ने वाला अर्थव्यवस्था बना हुआ है और जीएसटी लागू होने से इसे और बल मिलेगा। जीएसटी से एक ओर जहां कारोबार करने की लागत घटेगी, सामान एक जगह से दूसरे जगह पहुंचाने की लागत घटेगी, वहीं समानता में कोई कमी नहीं होगी।’