मुंबई : अपने समय में लाखों दिलों पर राज करने वाली पार्श्व गायिका मुबारक बेगम का लंबी बीमारी के बाद सोमवार रात जोगेश्वरी स्थित अपने घर में निधन हो गया. 80 साल की मुबारक बेगम लंबे अरसे से बीमार थीं. पिछले साल बेटी की मौत के बाद से वो गहरे सदमे में थीं और आर्थिक मुश्किलों से भी जूझ रही थीं.
परिवार के एक सदस्य ने बताया कि मुबारक बेगम अब हमारे बीच नहीं हैं. उनका जोगेश्वरी में अपने घर में रात साढ़े नौ बजे निधन हो गया. वह कुछ वक्त से बीमार थीं.
बताते चलें कि खासतौर पर 1950 से 1970 के दशकों में हिंदी फिल्मों के कई गीतों एवं गजलों में अपनी आवाज का जादू बिखेरने वाली बेगम का स्वास्थ्य काफी दिन से ठीक नहीं चल रहा था.
उन्होंने 1949 में रिलीज हुई फिल्म ‘आये’ के साथ गायन में अपने करियर की शुरूआत करने वाली मुबारक बेगम जिसमें उन्होंने एकल गीत ‘मोहे आने लगी अंगड़ाई आजा आजा’ और स्वर साम्राज्ञी लता मंगेशकर के साथ ‘आओ चलें सखी वहां’’ गीत गाया था.
बेगम ने 1950 से 1960 के दशकों में फिल्म जगत के सर्वश्रेष्ठ संगीत निर्देशकों- एसडी बर्मन, शंकर जयकिशन एवं खय्याम- के साथ सुनील दत्त, नरगिस और राजेंद्र कुमार जैसे अभिनय जगत के दिग्गजों की फिल्मों में काम किया.
बेगम ने बिमल रॉय की ‘देवदास’ में ‘वो ना आयेंगे पलट कर’ गीत गाया जिसके संगीतकार बर्मन थे. रॉय ने ‘मधुमती (1958)’ में भी बेगम की मधुर आवाज का उपयोग किया जिसमें उन्होंने ‘हम हाल-ए-दिल सुनाएंगे’ गीत गाया जिसके संगीतकार सलील चौधरी थे. तनुजा अभिनीत ‘हमारी याद आएगी’ का शीषर्क गीत ‘कभी तन्हाइयों में हमारी याद आएगी’ बेगम के सर्वाधिक यादगार गीतों में से एक है.
इसके अलावा आशा भोसले के साथ गाया उनका गीत ‘हमें दम दईके’ ‘नींद उड़ जाए तेरी’ और ‘मुझको अपने गले लगा लो’ उनके द्वारा गाए गए अन्य सदाबहार गीतों में शामिल हैं. वर्ष 1980 में रिलीज हुई कॉमेडी फिल्म ‘रामू तो दीवाना है’’ में उन्होंने ‘सांवरिया तेरी याद में’ गीत गाया जो उनके करियर के अंतिम गीतों में से एक है.
2011 में महाराष्ट्र सरकार ने बदहाली और बीमारी से जूझ रहीं मुबारक बेगम को एक लाख रुपये की मदद दी थी. लेकिन इसके बाद कहीं और से बड़ी मदद के हाथ उनके लिए आगे नहीं बढ़े. मुबारक बेगम दुनिया को अलविदा कह चुकी हैं लेकिन उनकी मखमली आवाज का जादू हमेशा कायम रहेगा.