बेयरत : एमनेस्टी इंटरनेशनल की रिपोर्ट में कहा गया कि सीरिया के इस्लामी विद्रोही और जिहादी युद्ध अपराधों के दोषी हैं। इस रिपोर्ट में उन पर, ‘लगातार शोषण, न्याय से इतर हत्याओं और अपहरण करने का’ आरोप लगाया गया।
लंदन के इस अधिकार समूह ने उत्तरी सीरिया में सक्रिय पांच सीरियाई सत्ता विरोधी धड़ों-अल-कायदा से जुड़े अल-नुसरा फ्रंट, कट्टरपंथी अहरार अल-शाम, नुरेद्दीन जिंकी, दी लेवांट फ्रंट और डिविजन फ्रंट 16 का नाम लिया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इन समूहों ने वकीलों, पत्रकारों और बच्चों समेत कई लोगों को कैद में रखा, उनका शोषण किया क्योंकि इन लोगों ने इन समूहों की आलोचना की थी, कुछ ऐसे काम किए थे जो इन समूहों को अनैतिक लगे या ये लोग अल्पसंख्यक समुदायों से थे।
एमनेस्टी पश्चिम एशिया और उत्तरी अफ्रीका कार्यक्रम के प्रमुख फिलिप लूथर ने बताया कि बड़ी संख्या में नागरिक इस खौफ में जीते हैं कि अगर वे सत्ता में मौजूद हथियारबंद समूहों की हरकतों की आलोचना करेंगे या फिर उन पर लगाए गए कड़े नियमों का पालन नहीं कर पाऐंगे तो उन्हें अगवा कर लिया जाएगा। उन्होंने आगे कहा कि एलपो और इदलिब में आज ये हथियारबंद समूह खुलेआम युद्ध अपराध कर रहे हैं और उन्होंने अंतरराष्ट्रीय मानवतावादी कानूनों का उल्लंघन किया है। यह रिपोर्ट इन समूहों द्वारा 2012 से 2016 के बीच किए गए 24 अपहरणों और शोषण के पांच मामलों पर आधारित है।
नूरेद्दीन जिंकी विद्रोहियों ने एलपो शहर में हलीम नाम के मानवीय कार्यकर्ता को अगवा कर तब तक उसका उत्पीड़न किया था जब तक क उसने अपराध कबूल नहीं कर लिया। उन्होंने बताया कि जब मैंने स्वीकारोक्ति पत्र पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया तो पूछताछ करने वाले अधिकारी ने सुरक्षाकर्मी से मेरा उत्पीड़न करने को कहा। फिर उसने रस्सों से मेरे पैर के तलवों में मारना शुरू कर दिया। मैं यह बर्दाशत नहीं कर सका और मैंने पत्र पर हस्ताक्षर कर दिए।’ जिहादी और कट्टरपंथी अपनी खुद की धार्मिक अदालतें चलाते हैं जिनमें धर्म के मुताबिक न चलने और व्यभिचार जैसे अपराधों के लिए दंड दिए जाते हैं।
अल-नुसरा ने साल 2014 के आखिरी में सालेह का आयोजन किया था जिसमें सुरक्षाकर्मी ने उन्हें बताया था कि व्यभिचार की दोषी पांच महिलाओं को इस पाप से मुक्ति केवल मौत ही दिला सकती है। उन्होंने बताया कि बाद में उन्होंने वीडियो में देखा था कि अल-नुसरा के आतंकवादी एक महिला को सार्वजनिक रूप से मौत की सजा दे रहे थे। एमनेस्टी का कहना है कि एलपो और इदलिब में अल-नुसरा और उसके साथी संगठनों की ओर से किए गए उल्लंघनों का उसने दस्तावेजीकरण किया है।
गौरतलब है कि सीरिया में सरकार विरोधी प्रदर्शनों के साथ 2011 में संघर्ष शुरू हुआ था। लेकिन यह पूरी तरह से युद्ध में बदल गया और इसमें 2,80,000 लोग मारे गए। अधिकार समूहों ने अंधाधुंध हमलों, उत्पीड़न और नजरबंदी के लिए सरकार विरोधी धड़ों समेत बशर-अल-असद की सरकार को भी दोषी ठहराया है। एमनेस्टी ने वैश्विक शक्तियों से ‘युद्ध के नियमों का पालन करने और उत्पीड़न को रोकने के लिए इन हथियारबंद समूहों को बाध्य करने और दबाव बनाने की मांग की है।