नई दिल्ली : एक तरफ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी स्वचछता अभियान चला रहे हैं और लोगों से हर घर में शौचालय बनाने की बात कर रहे हैं, वहीँ दूसरी ओर उन्हीं की पार्टी भाजपा शासित राज्य मध्यप्रदेश में शौचालय घोटाला सामने आया है. उस घोटाले का पर्दाफाश उस क्षेत्र से हुआ है जहाँ का प्रतिनिधित्व देश की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज कर रही हैं. ये घोटाला 4 साल पहले का है जब केंद्र में यूपीए की सरकार थी. 4 साल पहले सैकड़ों शौचालय सिर्फ कागज पर ही बना दिए गए. विदिशा नगर निगम की टीम जब खुद शौचालय की पड़ताल करने पहुंची तो उन्हें लिस्ट में मौजूद कई लोग मिले ही नहीं.
पीएम मोदी ने ऑस्ट्रेलिया के सिडनी में हर गांव में शौचालय बनवाने की मुहिम में लोगों को अपना योगदान देने की अपील की थी. पीएम मोदी चाहते हैं कि देश के हर घर में शौचालय बने और स्वच्छ भारत का सपना पूरा हो.
मोदी की मुहिम के बाद देश के हर स्कूल में लड़कियों के लिए अलग से शौचालय बनवाए गए. हर रोज वहां शौचालय बनवाए जा रहे हैं जहां अब तक लोग खुले में शौच करने जाते थे. मोदी की मुहिम के बीच ही चार साल पहले हुए शौचालय घोटाले का भी पर्दाफाश हुआ है. पिछले कुछ सालों में बने शौचालय बनने की जब जांच की गई तो फर्जीवाड़ा सामने आया.
एक न्यूज़ चैनल की रिपोर्ट के अनुसार मध्य प्रदेश के विदिशा में शौचालय के नाम पर बड़ा घोटाला हुआ है. विदिशा के वार्ड नंबर 24 में विजय का नाम उस लिस्ट में है जिनके नाम पर साल 2012 में केंद्र सरकार की योजना के तहत शौचालय बनवाने के लिए 10 हजार रुपए जारी हुए थे. विजय के घर में शौचालय तो बना लेकिन सरकार के पैसे से नहीं, उनके अपने पैसे से. सरकार ने जो पैसे उनके लिए दिए थे वो तो उन तक पहुंचे ही नहीं.
ये घोटाला सिर्फ विजय के साथ नहीं हुआ विदिशा में रहने वाली सुनीता देवी के घर भी शौचालय आधा अधूरा. शौचालय पर छत नहीं है और ना ही दरवाजा. दरअसल केंद्र सरकार की लिस्ट में जिन लोगों का नाम है उन तक पैसे पहुंचे ही नहीं और इनमें से कुछ लोग तो ऐसे हैं जो सिर्फ लिस्ट में ही हैं हकीकत में तो इन लोगों का कुछ अता पता ही नहीं है.
पौने दो लाख की आबादी वाले विदिशा में 1809 शौचालय बनाए जाने थे. 2012 में ये शौचालय पूरे होने का दावा किया गया लेकिन जब हाल ही में विदिशा नगर निगम ने जांच की तो पता चला कि लिस्ट में 454 शौचालय सिर्फ कागज पर ही बने थे असल में ये थे ही नहीं. एक शौचालय पर केंद्र सरकार ने 9 हजार 954 रुपए दिए थे. इस हिसाब से करीब 45 लाख 19 हजार रुपए का फर्जीवाड़ा हुआ.
मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार ने इस पूरे मामले में जांच के आदेश दिए हैं. अब विदिशा की गलियों में नगर पालिका के कर्मचारी उन लोगों की तलाश कर रहे हैं जिनके नाम लिस्ट में हैं.